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जलमहल को 30 करोड़ की लागत से संवारेगी सरकार, राधारानी का मंदिर है आस्था का केंद्र

मथुरा। प्रदेश सरकार राधारानी के पिता के बृषभानु कुंड स्थित जलमहल को अब संवारेगी। इसके लिए 30 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पीपीपी मॉडल पर ये काम होगा। इस स्थल को हेरिटेज होटल रिसार्ट का रूप दिया जाएगा। सरकार प्रदेश के चुनिंदा ऐतिहासिक धरोहरों को लग्जरी होटल समेत एडेप्टिव रीजूज एसेट्स में बदलेगी। इनको पुन उपयोगी बनाने की प्रक्रिया की जा रही है।

सरकार प्रदेश के चुनिंदा ऐतिहासिक धरोहरों को लग्जरी होटल समेत एडेप्टिव रीजूज एसेट्स में बदलेगी। इनको पुनः उपयोगी बनाने की प्रक्रिया की जा रही है। बररसाना स्थित जलमहल को इसमें शामिल किया गया है। बरसाना देश-दुनिया के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। वर्ष पर श्रद्धालुओं का आवागमन होता है।

जलमहल में होली और राधाष्टमी पर पैर रखने को भी जगह नहीं मिलती है। जलमहल को पुनः उपयोगी बनाया जाएगा। इसके लिए एजेंसी का चयन किया जा रहा है। इसे हेरिटेज होटल, रिसार्ट का रूप दिया जाएगा। म्यूजियम की भी योजना है।

जिला पर्यटन अधिकारी डीके शर्मा ने बताया कि डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए यह बेहतर स्थान बनेगा। अगले वर्ष इसके लिए काम शुरू हो जाएगा। फिलहाल काफी पुराने हो चुके, जलमहल को नया रूप दिया जाएगा। पीपीपी माडल पर इसका विकास होगा।

ये है जलमहल की खासियत

मान्यता है राधारानी के पिता बृषभानुजी इस कुंड में स्नान करने आते थे। वर्ष 1770 में भरतपुर स्टेट के राजपुरोहित रूपराम कटारा ने चार मंजिला जल महल बनवाया था। इसी के अंदर राधारानी की मां कीर्ति के नाम से भी कुंड है। कुंड के बीच में बने जलमहल की एक मंजिल पानी में ही डूबी रहती है। इसलिए जलमहल के अन्य हिस्से में गर्मी के दौरान काफी ठंडक रहती है और लोग यहां दिन में विश्राम करने आते हैं। समय के साथ जलमहल जर्जर होता गया। ऊपर की मंजिलों में कुछ लोगों ने कब्जा कर लिया है।