सोनभद्र। नाबालिग बहन ने जब चार नवंबर 2014 को लगातार एक साल से तत्कालीन प्रधानपति रामदुलार गोंड़ द्वारा डरा-धमकाकर दुष्कर्म की बात भाई को बताई तो भाई से बर्दाश्त नहीं हुआ। वह म्योरपुर थाने पहुंचा और रामदुलार के खिलाफ तहरीर देकर न्याय की गुहार लगाई। दुष्कर्म के मामले में फंसे रामदुलार को वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने दुद्धी से टिकट दिया था और वह 6,723 वोट से जीतकर विधायक बन बैठे।
पीड़िता के भाई का आरोप है कि न्यायालय में मामला विचाराधीन होने पर विधायक रामदुलार ने पीड़ित पक्ष को 40 लाख रुपये का लालच दिया और समझौते के लिए दबाव बनाया, लेकिन गरीबी और असुरक्षा के चलते के बीच पल रहा पीड़ित परिवार न्याय की आस में डटा रहा और समझौते की पेशकश ठुकरा दी। इसी का परिणाम रहा कि विधायक को पाक्सो एक्ट में दोषी पाते हुए एमपी-एमएलए कोर्ट ने दोषी पाया और न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। पूरे मुकदमे की पैरवी कर रहे पीड़िता के भाई ने बताया कि जब रामदुलारे गोंड की पत्नी प्रधान थी तब गोंड़ ने उसकी बहन के साथ दुष्कर्म किया था।
मुकदमा दर्ज होने और न्यायालय में विचाराधीन होने के काफी समय तक वह किसी तरह की पैरवी नहीं कर रहा था, लेकिन जब वह विधायक चुना गया तो उसने मामला खत्म करने और समझौता करने के लिए 40 लाख रुपये देने की पेशकश की थी। पीड़िता के भाई का आरोप है कि बहन की ससुराल तक विधायक ने समझौते के लिए धमकी दिलवाई थी।