प्रयागराज। 24 फरवरी को सुलेमसराय में उमेश पाल की हत्या के समय अतीक-अशरफ जेल में बंद थे। पुलिस ने अतीक की बीवी शाइस्ता परवीन की तलाश करते हुए चकिया में छापा मारा। वह नहीं मिली, लेकिन उसके चौथे व पांचवें नंबर के बेटे चकिया में लावारिस मिले थे। नाबालिग होने पर पुलिस ने दोनों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया।
उमेश पाल हत्याकांड के बाद सात महीने से बालगृह में रखे गए अतीक के दोनों बेटों को सोमवार की शाम छोड़ दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बाल कल्याण समिति ने दोनों को बुआ यानी अतीक की बहन परवीन के सुपुर्द किया। पुलिस सुरक्षा में दोनों को पूरामुफ्ती के हटवा में बुआ के घर पहुंचा दिया गया। नाबालिग होने पर पुलिस ने दोनों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। दो मार्च को उन्हें राजरूपपुर स्थित बालगृह में रखा गया। चौथे नंबर का बेटा अहजम छह अक्टूबर को 18 वर्ष का हो गया। ऐसे में उसे बालगृह में नहीं रखा जा सकता था। इसी बीच, अतीक के बेटों की अभिरक्षा के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी निर्णय लेने का निर्देश दिया। मंगलवार 10 अक्टूबर को इसमें सुनवाई होनी है।
पहले बहन आयशा फिर शाहीन ने मांगी भतीजों की सुपुर्दगी
अतीक के दोनों बेटों की सबसे पहले उनकी मेरठ में रहने वाली बुआ आयशा नूरी ने सुपुर्दगी मांगते हुए कोर्ट में अर्जी दी। उसकी अर्जी पर पुलिस रिपोर्ट मांगी गई। इसके बाद आयशा नूरी को भी पुलिस ने हत्याकांड में वांछित कर दिया। वह बेटियों समेत फरार हो गई। आयशा के बाद जुलाई में अतीक की दूसरी बहन मरियाडीह गांव निवासी शाहीन अहमद ने बेटों को उसके सुपुर्द करने के लिए अर्जी दी।