अयोध्या। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूर्ण हो गया है। राम मंदिर में रामलला को विराजमान होते देखने का सपना 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद पूरा हो गया है। राम मंदिर में रामलला विराजमान हो गए है। रामलला को विराजमान होने से पहले अयोध्या नगरी को प्रभु के स्वागत के लिए खासतौर से सजाया गया था। रामलला अपने बाल स्वरूप में श्यामल पत्थर से तैयार दिख रहे हैं। इस मूर्ति में रामलला पांच वर्षीय बालक की तरह बेहद सौम्य रुप में नजर आ रहे है। उनके चेहरे पर दिल जीतने वाली मुस्कान दिख रही है।
बता दें कि ये 51 इंच की मूर्ति बेहद खुबसूरत है, जिसका निर्माण मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया है। इसमें रामलला माथे पर तिलक है। उनकी इस छवि का निर्माण श्याम शिला से किया गया है, जो काले रंग की है। रामलला की मूर्ति भी इस पत्थर के कारण श्यामल है। जिस शिला से प्रभु की मूर्ति बनाई गई है, उसके काले रंग का होने के कारण इसे कृष्ण शिला कहा जाता है, जिस पत्थर से इस मूर्ति का निर्माण हुआ है वो हजारों वर्षों तक ऐसा ही रहता है। इस पत्थर को जल, चंदन, रोली आदि से भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता है। उनकी कोमल छवि के साथ ही बालत्व, देवत्व और राजकुमार की छवि देखने को मिल रही है। मूर्ति का वजन 200 किलोग्राम है। इसकी चौड़ाई तीन फीट की है। ये मूर्ति कमल दल पर खड़ी है। हाथ में सोने के तीर और धनुष भी बनाए गए है।
रामलला की पहली मूर्ति की झलक उस समय सामने आई जब प्रधानमंत्री नरेंद्र ने गर्भगृह में विधि विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठा की। सोने के गहनों और फूलों से सजी 51 इंच की रामलला की आलोकिक मूर्ति की तस्वीर ने देशवासियों का मनमोह लिया है। पहली बार सामने आई सुसज्जित तस्वीर में रामलला के सिर पर स्वर्ण मुकुट और गले में हीरे-मोतियों के हार है। कानों में सोने के कुंडल भी सुशोभित उन्होंने किए हुए है। हाथ में स्वर्ण से निर्मित धनुष बाण भी है। रामलला को पीतांबर धारण करवाया गया है।
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में गर्भगृह में प्रधानमंत्री नरेंद्र ने विधिविधान के साथ पूजा अर्चना की है। उन्होंने सभी अनुष्ठानों को पूरा किया है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मध्याह्न में साढ़े बारह बजे (12-29) बजे रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में सोमवार को श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा संपन्न हुई और देश -विदेश में लाखों रामभक्त इसके साक्षी बने। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान सेना के हेलीकॉप्टरों ने नवनिर्मित रामजन्मभूमि मंदिर पर पुष्प वर्षा की गई।
बता दें कि राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की विधि दोपहर 12.20 बजे से शुरू हुई थी। मुख्य पूजन विधि अभिजीत मुहूर्त मे संपन्न हुई है। इस पूजा के लिए शुभ मुहूर्त काशी के विद्वान गणेश्वर शास्त्री द्रविड़ ने निकाला था। इस मुहूर्त को पौष माह के द्वादशी तिथि में अभिजीत मुहूर्त के इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न एवं वृश्चिक नवांश में किया गया। बता दें कि प्राण प्रतिष्ठा 84 सेकेंड के अद्भुत योग में की गई है।