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उत्तर प्रदेश

जो खुद बकायेदार हों उन्हें दूसरों पर दोष मढ़ने का अधिकार नहीं – इलाहाबाद हाईकोर्ट की फटकार

प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजली विभाग के कर्मियों द्वारा ही बिजली के अवैध इस्तेमाल संबंधी आरोप को गंभीरता से लिया है। कहा है कि खुद गलती करने वाले अधिकारियों को दूसरे की गलती पर कार्रवाई का अधिकार नहीं है, जो खुद बकायेदार हों, उन्हें दूसरों पर दोष मढ़ने का अधिकार नहीं।

याचिका में कहा गया कि बिल का भुगतान नहीं करने पर इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती। न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने यह टिप्पणी याची के इस आरोप पर की है कि बिजली विभाग के कर्मचारी-अधिकारी मीटर लगाए बिना अपने घरों में बिजली का मनमानी इस्तेमाल कर बिजली चोरी कर रहे हैं। कोर्ट ने जेई बृजेश कुमार व विवेचना अधिकारी सहित बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता स्तर के अधिकारी का जवाबी हलफनामा मांगा है। अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी।

बिजली अधिकारियों पर नहीं होती कार्रवाई

याचिका में कहा गया है कि उपयोग की बिजली का भुगतान नहीं कर अधिकारी सरकार व विद्युत निगम को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। अधिकारियों को कानूनी छूट नहीं है, परोक्ष या प्रत्यक्ष रूप से बिजली चोरी में शामिल हैं। बिल का भुगतान नहीं करने पर इन अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती। बिजली वितरण एजेंसी दोहरा मापदंड नहीं अपना सकती। सरकार ने बिजली विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों का चेक कर कार्रवाई करने की कोई एडवाइजरी संस्था नहीं बनाई है। उपभोक्ताओं का निरीक्षण करने वाली टीम इनका निरीक्षण नहीं करती।

कोर्ट ने हलफनामा दायर करने का दिया निर्देश

कोर्ट ने पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम, दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम व पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अध्यक्ष की तरफ से अधिकृत अधिकारी को हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और याची के खिलाफ केस कार्रवाई पर रोक लगा दी है। याची के खिलाफ विद्युत चोरी का केस दर्ज किया गया है जबकि उसका कहना है कि उसके नाम कोई कनेक्शन नहीं है और न ही उस पर कोई बकाया बिल है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दी तथा मजिस्ट्रेट ने समन भी जारी कर दिया।

मामले के तथ्यों के अनुसार याची उमाशंकर वर्मा के खिलाफ जेई बृजेश कुमार ने ऐंटी पावर थेफ्ट थाना बलिया में 18 सितंबर 2020 को एफआइआर दर्ज कराई। आरोप लगाया कि 15 सितंबर 2020 को निरीक्षण टीम ने बिजली चोरी पकड़ी। कनेक्शन बकाया भुगतान न होने पर काट दिया गया था। इसके बावजूद बिना बिल भुगतान किए बिजली का उपयोग करते पाया गया।

याची का कहना है कि उसने कभी बिजली कनेक्शन लिया ही नहीं। नया घर बनाया है। शारदा देवी की अर्जी पर बिजली कनेक्शन दिया गया है। मीटर भी लगा है। कोई बिल नहीं आया है न ही कनेक्शन काटा गया है। टीम ने 15 सितंबर 2020 को कोई निरीक्षण नहीं किया। कोई स्वतंत्र गवाह नहीं है। विवेचना अधिकारी ने बिना उसका बयान लिए चार्जशीट दायर कर दी। यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरूपयोग है, इसे रद्द किया जाए।

 

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