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उत्तर प्रदेश

सात वर्ष की उम्र में हुआ था अपहरण, संघर्ष कर बना वकील और दोषियों को दिलाई कड़ी सजा

आगरा। आगरा के एक अधिवक्ता के संघर्ष की कहानी कुछ ऐसी है कि जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। सात साल की उम्र में अपहरण हुआ था। 26 दिनों तक यातनाएं झेंली। मुक्त होने के बाद संघर्ष किया और खुद वकील बन गया। अपना केस लड़ते हुए दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई।

अपने पिता की गोद में बैठे सात साल के हर्ष गर्ग का 17 वर्ष पहले अपहरण हुआ था। आजाद होने के बाद मन में बदला लेने की ठान ली। परिजनों की मनाही के बावजूद लॉ की पढ़ाई की। पहला केस अपना ही लड़ा और खुद के अपहरण के आठ आरोपियों को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावी क्षेत्र नीरज बक्सी की कोर्ट से दोषी करार कराते हुए आजीवन कारावास की सजा दिलाई। यह कहानी किसी फिल्मी की नहीं, बल्कि खेरागढ़ कस्बे के हर्ष गर्ग की है।

10 फरवरी 2007 का यह वाकया है। खेरागढ़ थाने में व्यापारी अविनाश गर्ग ने मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि उनके भाई रवि गर्ग अपने बेटे हर्ष गर्ग के साथ खेरागढ़ चौराहा स्थित अपने मेडिकल स्टोर पर बैठे थे। तभी एक गाड़ी में करीब 1 दर्जन पुलिस की वर्दी पहने बदमाश आए। वह भतीजे हर्ष का अपहरण कर ले गए हैं और भाई रवि गर्ग द्वारा विरोध पर उन्हें गोली मार दी है। इस सनसनीखेज वारदात ने पुलिस के हाथ पांव फुला दिए।

उस वक्त एसएसपी रहे जेके गोस्वामी ने पुलिस की कई टीमों को लगाया। पुलिस ने अपहरण के 27वें दिन मध्य प्रदेश से हर्ष गर्ग को बरामद किया। विवेचना कर धौलपुर के थाना बसेड़ी क्षेत्र निवासी राजेश शर्मा, राजकुमार, भीकम भिकारी, फतेह सिंह उर्फ झिंगा, अमर सिंह उर्फ राजबब्बर, बलवीर उर्फ राजवीर, रामप्रकाश और गुड्डन काछी, दलेल सिंह, लाखन सिंह, राजेंद्र, रमेश, बच्चू और निरंजन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। शुरूआत में अपह्त हर्ष गर्ग के पिता रवि गर्ग, जो कि पेशे से अधिवक्ता हैं, उन्होंने केस लड़ा।

वर्ष 2022 में हर्ष गर्ग ने वकालत की पढ़ाई आगरा कॉलेज से पूरी की। 2023 में पंजीकरण कराने के बाद पहला केस अपने ही अपहरण का लड़ा और बीते मंगलवार को राजेश शर्मा, राजकुमार, भीकम भिकारी, फतेह सिंह उर्फ झिंगा, अमर सिंह उर्फ राजबब्बर, बलवीर उर्फ राजवीर, रामप्रकाश और गुड्डन काछी को मजबूत साक्ष्य, दलील, गवाही के सहारे दोषी सिद्ध कराते हुए आजीवन कारावास की सजा दिलाने में सफल हुए। हालांकि आरोपी दलेल सिंह, लाखन सिंह, राजेंद्र और रमेश गवाही व साक्ष्यों के अभाव में बरी हो गए। वहीं, दो अन्य आरोपी बच्चू और निरंजन की मौत हो चुकी है।